रेयूकाई
के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार को अंजाम देने के
उद्देश्य से प्रत्येक देश में रेयूकाई के सिद्धांतों के
आधार पर एक स्थानीय परिस्थिति बनाने का महत्त्व समझा गया
ताकि स्वतंत्र व सक्रिय प्रबंध कार्य हासिल किया जा सके।
इसे सभी गतिविधियों के सुनियोजन, क्रियान्वयन व वित्त
व्यवस्था में लागू किया जा सकेगा ताकि हर एक देश अपनी
अनोखी परिस्थितियों के अनुसार कार्य कर सके। इसे सभी
गतिविधियों के सुनियोजन, क्रियान्वयन व वित्त व्यवस्था
में लागू किया जा सकेगा ताकि हर एक देश अपनी अनोखी
परिस्थितियों के अनुसार कार्य कर सके।
भारत में
इसे लागू करने के लिए 9 अप्रैल 2006 को नई दिल्ली में
आध्यात्मिक सहचर्य संस्था के मुख्यालय में आयोजित भारत
में शुबुचो की प्रथम राष्ट्रीय बैठक के दौरान एक
शिक्षा व गतिविधि प्रोत्साहन समिति अर्थात्
टी.ए.पी. समिति गठित की गई।
शिक्षा व गतिविधि प्रोत्साहन समिति के उद्देश्य इस
प्रकार हैं:-
"गतिविधि
योजना"
तैयार करना
"गतिविधि
योजना"
के अनुसार बजट विनियोजित करना
"गतिविधि
योजना"
का कार्यान्वयन, प्रस्तुति और संक्षपण।
टी.
ए.
पी.
समिति :
सदस्य
टी.
ए.
पी. समिति
द्वारा प्रस्तावित गतिविधियों का पंचांग |